Sunday, April 28, 2024

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राजनीति के मौसम विज्ञानी थे राम विलास पासवान , सियासी मैदान पर बनाया था विश्व रिकॉर्ड

अंग्वाल न्यूज डेस्क
राजनीति के मौसम विज्ञानी थे राम विलास पासवान , सियासी मैदान पर बनाया था विश्व रिकॉर्ड

नई दिल्ली । भारतीय राजनीति के दिग्गज राजनेताओं में शुमार रहे बिहार के लाल राम विलास पासवान का गुरुवार को निधन हो गया । उन्हें भारतीय राजनीति जगत का मौसम विज्ञानी कहा जाता था । राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव उन्हें इसी नाम से संबोधित करते थे । उनके बारे में कहा जाता था कि उन्हें पहले से इस बात का आभास हो जाता था कि आखिर इस बार चुनाव में किसकी हवा बह रही है और कौन सी पार्टी सत्ता के केंद्र में बैठने वाली है । वह हमेशा में सत्ता में नजर आते थे । उन्हें देश के 6 प्रधानमंत्रियों के साथ बतौर केंद्रीय मंत्री काम किया । इतना ही नहीं उन्होंने दो बार लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक मतों से जीतने का विश्व रिकॉर्ड भी कायम किया। 

व्यक्तिगत जीवन

रामविलास पासवान का जन्म 5 जुलाई 1946 को खगड़िया जिले के अलौली स्थित शहरबन्नी गांव है। उनकी शादी 1960 में राजकुमारी देवी से हुई । वर्ष 1981 में उन्होंने अपनी पत्नी को तलाक देकर 1983 में रीना शर्मा से विवाह किया । उनकी दोनों पत्नियों से तीन पुत्रियां और एक पुत्र है। उन्होंने कोसी कॉलेज खगड़िया और पटना यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की। पटना विश्वविद्यालय से उन्होंने एमए और लॉ ग्रेजुएट की डिग्री ली। वह नॉनवेज पसंद करते हैं। मछली उनकी पहली पसंद है। 

उनके पद

1989 में पहली बार केन्द्रीय श्रम मंत्री 

1996 में रेल मंत्री 

1999 में संचार मंत्री 

2002 में कोयला मंत्री 

2014 में खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री 

2019 में खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री 

1969 में पहली बार विधायक बने

राजनीति की शुरुआत

राम विलास पासवान ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत वर्ष 1969 में की। वह बिहार की अलौली सीट से विधानसभा चुनाव जीते और इसके बार उन्होंने अपने राजनीतिक सफर ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा । वर्ष 1977 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीतने  , इसके बाद उन्होंने 6 प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया । वह 9 बार लोकसभा सांसद रहे। फिलहाल वह केंद्र की मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री थे । वह नीतीश कुमार के सहयोग से राज्यसभा सांसद बने ते । 

कांग्रेस के विरोध में जेल , यूपीए सरकार में मंत्री बने

पासवान को लालू प्रसाद यादव मजाक में राजनीति का मौसम वैज्ञानिक कहते थे । असल में मविलास पासवान समय रहते अपना पाला बदल लेते थे और और जिसके साथ वह जुड़ते थे अमूमन देखा गया कि वह दल केंद्र की सत्ता पर काबिज भी हुआ । उनकी सभी दलों के साथ व्यक्तिगत पकड़ बहुत अच्छी रही । पासवान जो एक समय में कांग्रेस की सत्ता के खिलाफ इमरजेंसी के दौरान जेल गए थे, बाद में उसी की अगुवाई वाली यूपीए सरकार में मंत्री भी रहे । एक समय पासवान भाजपा सरकार की नीतियों का जमकर विरोध करते भी नजर आए , लेकिन मौजूदा समय में वह मोदी कैबिनेट का हिस्सा थे । 

जेपी आंदोलन से राजनीति में उभरे


असल में छात्र राजनीति में सक्रिय रामविलास पासवान, जयप्रकाश नारायण के समाजवादी आंदोलन से बिहार की राजनीति में सक्रिय हुए । धीरे धीरे उनका जलवा बढ़ने लगा । 

- वर्ष 1969 के बिहार विधानसभा चुनावों में उन्होंने पहली बार विधायकी का चुनाव लड़ा । उस दौरान वह संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार थे और उन्होंने जीत भी हांसिल की । 

- इसके बाद 1974 में जब लोकदल बना तो पासवान उससे जुड़ गए , उन्हें पार्टी का महासचिव बनाया गया । 

- वर्ष 1975 के आपातकाल का विरोध करते हुए पासवान जेल भी गए । 

- रामविलास पासवान साल 1977 में पहली बार जनता पार्टी के उम्मीददवार के रूप में हाजीपुर सीट से जीतकर लोकसभा पहुंचे थे।

- हाजीपुर में उन्होंने रिकॉर्ड वोट से जीत हासिल कर सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा । 

- इसके बाद साल 1980 के लोकसभा चुनावों में इसी सीट से दोबारा जीत हासिल की ।  

1983 में दलित सेना का गठन किया

राम विलास पासवान ने साल 1983 में दलितों के उत्थान के लिए दलित सेना का गठन किया था । वहीं 1989 में नवीं लोकसभा में तीसरी बार लोकसभा के लिए चुने गए ।

-  केंद्र की वीपी सिंह सरकार में उन्हें पहली बार कैबिनेट में जगह मिली और श्रम कल्याण मंत्री बनाया गया।

- . इसके बाद एचडी देवगौड़ा और आईके गुजरात की सरकार में साल 1996 से 1898 तक पासवान को रेल मंत्री बनाया गया ।  

-  बिहार की सबसे छोटी पार्टियों की लिस्ट में होने के बावजूद उसकी हमेशा सत्ता में भागेदारी रही। 

- वर्ष 2000 में उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी की स्थापना की । जनता पार्टी से होते हुए जनता दल और उसके बाद जनता दूल यूनाइटेड का हिस्सा रहे, लेकिन जब बिहार की सियासत के हालात बदल गए तो उन्होंने अपनी पार्टी बना ली । 

लालू यादव के साथ राम विलास पासवान

बिहार की सत्ता में जब जदयू प्रमुख नीतीश कुमार सत्ता में आए तो उन्होंने दलित समुदाय को साधने के लिए दलित कैटेगरी की 22 जातियों में से 21 को महादलित घोषित कर अपनी तरफ से कोशिशें शुरू की । इस सब में वह सफल भी साबित हुए । इसके बाद 2018 में पासवान जाति को भी शामिल कर सभी को महादलित बना दिया । इस तरह से बिहार में अब कोई दलित समुदाय नहीं रह गया है । 

मोदी के साथ बेहतर रहा लोजपा का रिकॉर्ड

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले लोजपा भाजपा के साथ चली गई । बिहार में 7 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिनमें से 6 पर जीत दर्ज की । इस बीच राम विलास पासवान के बेटे चिराग पासवान भी जमुई सीट से पहली बार चुनाव लड़े और जीत गए । इस सबके बीच उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया था ।  

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